एक वस्तु के भौतिक साधनों और भौतिक उत्पादन में पाए जाने वाले फलनात्मक सम्बंध को उत्पादन फलन कहते हैं। यह बताता है कि आगतों में समय की एक निश्चित अवधि में परिवर्तन से निर्गतों में किस प्रकार और कितनी मात्रा में परिवर्तन होता है। प्रो. फ़र्गुसन ने कहा कि “उत्पादन के सिद्धांत का अर्थ है की एक उत्पादन निश्चित उत्पादन तकनीक के आधार पर उत्पादन की निश्चित मात्रा प्राप्त करने के लिए विभिन्न उत्पत्ति उपादानों का किस प्रकार कुशलतापूर्वक संयोग करता है।”उत्पादन विभिन्न उत्पादन साधनों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। प्रो. स्टिगलर ने कहा, “उत्पादन फलन उत्पादकिय सेवाओं की आगत की दरों और वस्तु के उत्पादन की दर के बीच सम्बंध को दिया गया नाम है।” यह अर्थशास्त्री के तकनीकी ज्ञान का एक संक्षिप्त विवरण है।प्रो. लेफ़्टविच ने कहा कि, “उत्पादन फलन का अभिप्राय फ़र्म के उत्पत्ति साधनों और प्रति समय इकाई और प्रति समय इकाई वस्तुओं और सेवाओं के बीच का भौतिक सम्बंध है, जबकि मूल्यों को छोड़ दिया जाए।”
दूसरे शब्दों में एक उत्पादन फलन एक दिए गए समय के लिए उत्पत्ति के साधनों एवं उनके द्वारा उत्पादित उत्पादन की मात्रा के भौतिक सम्बंध को बताता है।
गणितीय रूप में q = f(N,L,K,E)
जहां q फ़र्म के उत्पादन को तथा N,L,K और E भूमि, श्रम, पूँजी और साहस को प्रदर्शित कर रहे है। बहुत सी आगतों वाला उत्पादन फलन एक रेखाचित्र में नहीं दर्शाया जा सकता है। फिर, विभिन्न आगतों के विशिष्ट मूल्य दिए होने पर, ऐसे उत्पादन फलन को गणितीय रूप में हल करना कठिन होता है। इसलिए अर्थशास्त्री दो-आगत उत्पादन फलन का प्रयोग करते है। यदि दो आगतों, श्रम और पूँजी लिया जाए, तो उत्पादन फलन इस रूप में होता है,
q = f (L,K)
मान्यताएँ :
- दिए गए समय में उत्पादन तकनीक अर्थात् तकनीकी ज्ञान का स्तर स्थिर है तथा दिए गए इस समय के अंतर्गत प्राप्त तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं होता।
- एक फ़र्म दिए गए लागत व्यय के अंतर्गत समय विशेष में उस उत्पादन तकनीक का चुनाव करना चाहोगे जो दी गई परिस्थितियों में अधिकतम कुशल तकनीक हो।
उत्पादन फलन की विशेषताएँ
- उत्पादन फलन उत्पत्ति साधनों की मात्रा एवं उनके द्वारा उत्पादित वस्तु मात्रा के भौतिक सम्बंधों को दर्शाता है।
- उत्पादन फलन का सम्बंध उत्पत्ति साधनों की क़ीमतों एवं उत्पादित वस्तुओं की क़ीमतों से होता अर्थात् उत्पादन फलन का सम्बंध उत्पादन साधनों की क़ीमतों एवं उत्पादित वस्तु क़ीमतों से स्वतंत्र होता है।
- उत्पादन फलन का सम्बंध समय – अवधि से है अर्थात् उत्पादन समयावधि के अनुसार उत्पादन फलन का स्वरूप बदलता रहता है। समयावधि के अनुसार उत्पत्ति साधनों की पूर्ति बदलते रहती है जिसके कारण उत्पादन फलन में परिवर्तन आ जाता है। अल्पकाल में उत्पत्ति के अधिकांश साधन स्थिर होते है जबकि दीर्घकाल में उत्पत्ति के सभी साधन परिवर्तनशील होते है। समयावधि के अनुसार उत्पत्ति साधनों की स्थिरता एवं परिवर्तनशीलता उत्पादन फलन को बदल देती है।
- उत्पादन फलन के स्वरूप पर तकनीकी स्तर का सबल प्रभाव पड़ता है, किंतु प्रत्येक उत्पादन फलन में सम्मिलित तकनीकी स्तर को स्थिर मान लिया जाता है।
- उत्पादन फलन के उत्पत्ति साधनों में स्थनापन्नता का गुण विद्यमान होता है अर्थात् एक ही उत्पादन फलन के लिए एक साधन के स्थान पर दूसरे साधन का कम अथवा अधिक मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है अर्थात् एक ही उत्पादन मात्रा प्राप्त करने के लिए परिवर्तनशील साधनों के कई संयोगों का प्रयोग किया जा सकता है।
- उत्पादन फलन स्थैतिक अर्थशास्त्र का विषय है, क्यूँकि यह तकनीकी ज्ञान का स्तर, साधनों की क़ीमतों तथा समयावधि को निश्चित मानकर कार्य करता है।