सकारात्मक और मानक अर्थशास्त्र (Positive and Normative Economics)

सकारात्मक अर्थशास्त्र (Positive Economics) क्या है?

(“क्या है” का विज्ञान)

सकारात्मक अर्थशास्त्र (Positive Economics) अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो आर्थिक घटनाओं का वर्णन और व्याख्या ठीक वैसे ही करती है जैसी वे वास्तव में हैं, बिना किसी व्यक्तिगत राय या निर्णय के। यह पूरी तरह से निष्पक्ष (Objective) और वैज्ञानिक है, बिल्कुल भौतिकी (Physics) और रसायन विज्ञान (Chemistry) की तरह।

एक सकारात्मक कथन (Positive Statement) की विशेषताएँ:

  • यह सत्य या असत्य हो सकता है।
  • डेटा का उपयोग करके इसका परीक्षण (Test) किया जा सकता है।
  • इसे अनुभवजन्य साक्ष्यों (Empirical Evidence) से सिद्ध किया जा सकता है।

यह केवल तीन प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देता है:

  1. क्या है? (What is?)
  2. क्या था? (What was?)
  3. क्या होगा? (What will be? – यदि कुछ शर्तें पूरी हों)

सकारात्मक अर्थशास्त्र के उदाहरण (भारतीय अर्थव्यवस्था 2024-25)

ये कथन केवल तथ्यों पर आधारित हैं, इनमें कोई राय नहीं है:

  1. GDP वृद्धि: “वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 6.7% की दर से बढ़ी।” (MOSPI डेटा से सत्यापित)
  2. Repo Rate का प्रभाव: “RBI द्वारा रेपो दर में 1% की वृद्धि से अगली दो तिमाहियों में क्रेडिट ग्रोथ में 0.4% की कमी आई।” (परीक्षण योग्य परिकल्पना)
  3. श्रम भागीदारी: “PLFS के अनुसार, महिला श्रम बल भागीदारी दर 2017-18 में 23.3% से बढ़कर 2023-24 में 41.6% हो गई।” (शुद्ध तथ्य)
  4. राजकोषीय घाटा: “2024-25 के संशोधित अनुमानों में भारत का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) जीडीपी का 5.1% रहा।” (सरकारी आंकड़ा)
  5. PLI स्कीम: “PLI योजना के बाद इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर आयात निर्भरता 2014 में 78% से गिरकर 2024 में 52% हो गई।” (डेटा-संचालित)

नोट: ये कथन यह नहीं बताते कि यह अच्छा है या बुरा। मिल्टन फ्रीडमैन (Milton Friedman) ने इसे “एक निष्पक्ष विज्ञान” कहा था।

सकारात्मक अर्थशास्त्र की मुख्य विशेषताएं

  • निष्पक्ष (Objective): डेटा और तर्क पर आधारित।
  • वर्णनात्मक (Descriptive): स्थिति का वर्णन करता है।
  • कारणात्मक (Causal): कारण और प्रभाव (Cause and Effect) पर केंद्रित।
  • मूल्य-मुक्त (Value-free): व्यक्तिगत राय से मुक्त।

मानक अर्थशास्त्र (Normative Economics) क्या है?

(“क्या होना चाहिए” की कला)

मानक अर्थशास्त्र (Normative Economics) वह शाखा है जो मूल्य निर्णय (Value Judgments) लेती है। यह बताती है कि आर्थिक नीतियां कैसी होनी चाहिए। यह व्यक्तिपरक (Subjective) होती है क्योंकि यह नैतिकता, निष्पक्षता और व्यक्तिगत विचारों पर निर्भर करती है।

एक मानक कथन (Normative Statement) को वैज्ञानिक रूप से सही या गलत साबित नहीं किया जा सकता; इस पर केवल बहस की जा सकती है।

यह केवल एक प्रश्न का उत्तर देता है: क्या होना चाहिए? (What ought to be?)

मानक अर्थशास्त्र के उदाहरण (भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में)

इन कथनों में “राय” छिपी होती है:

  1. “सरकार को राजकोषीय घाटे को 4.5% से नीचे लाना चाहिए, क्योंकि 5.1% बहुत अधिक है।”
  2. “41.6% की महिला भागीदारी दर शर्मनाक है; भारत को 60% का लक्ष्य रखना चाहिए।”
  3. “गरीबी हटाने के लिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) शुरू की जानी चाहिए।”
  4. “रिटेल इन्वेस्टर्स को बचाने के लिए क्रिप्टो ट्रेडिंग को बैन कर देना चाहिए।”
  5. “अमीरों पर 45% टैक्स लगना चाहिए क्योंकि असमानता अनैतिक है।”
  6. “मुफ्त बिजली और बस यात्रा जैसी रेवड़ियों (Freebies) को रोका जाना चाहिए।”

पहचानने के शब्द: चाहिए (Should/Must), उचित, अनुचित, अच्छा, बुरा, शर्मनाक, नैतिक।

मानक अर्थशास्त्र की मुख्य विशेषताएं

  • व्यक्तिपरक (Subjective): लोगों की पसंद पर आधारित।
  • आदेशात्मक (Prescriptive): सुझाव और नीतियां देता है।
  • आदर्शवादी (Idealistic): सामाजिक कल्याण (Welfare) पर केंद्रित।
  • अपरीक्षणीय (Untestable): इसे गणित से सिद्ध नहीं किया जा सकता।

सकारात्मक बनाम मानक अर्थशास्त्र: मुख्य अंतर

यहाँ एक नज़र में दोनों के बीच का अंतर समझें:

पैरामीटरसकारात्मक अर्थशास्त्र (Positive)मानक अर्थशास्त्र (Normative)
प्रकृतिनिष्पक्ष, वैज्ञानिक (Scientific)व्यक्तिपरक, मूल्य-आधारित (Subjective)
फोकसवर्णन, व्याख्या और भविष्यवाणीसिफारिश और सुझाव (Recommendation)
मूल प्रश्नक्या है? / क्या होगा?क्या होना चाहिए?
टेस्टिंगडेटा से टेस्ट किया जा सकता हैटेस्ट नहीं हो सकता, केवल बहस हो सकती है
मूल्य निर्णयअनुपस्थित (Absent)हमेशा मौजूद (Always Present)
उदाहरण (2024)“Q1 2024 में भारत का CAD 1.2% था।”“CAD कभी भी 2% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।”
कौन उपयोग करता है?शोधकर्ता, केंद्रीय बैंक (RBI)नीति निर्माता (Politicians), एक्टिविस्ट

निष्कर्ष

शोध पत्रों (Research Papers) में, सकारात्मक अर्थशास्त्र का उपयोग “Results” और “Data” सेक्शन में किया जाता है। जबकि मानक अर्थशास्त्र का उपयोग “Conclusion” या “Policy Suggestions” में किया जाता है जहाँ आप यह तर्क देते हैं कि डेटा के आधार पर सरकार को क्या करना चाहिए।

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