व्यष्टि अर्थशास्त्र क्या है? (What is Microeconomics?)
“व्यष्टि” शब्द का अर्थ है ‘छोटा’ या ‘सूक्ष्म’। यह ग्रीक शब्द ‘Mikros‘ से लिया गया है, जिसका मतलब भी ‘छोटा’ होता है।
व्यष्टि अर्थशास्त्र, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, अर्थव्यवस्था की छोटी-छोटी व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन करता है। यह इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि व्यक्ति, परिवार और फर्में (कंपनियाँ) अपने सीमित संसाधनों का आवंटन कैसे करते हैं।
सरल शब्दों में, यह एक पेड़ का अध्ययन करने जैसा है, न कि पूरे जंगल का।
व्यष्टि अर्थशास्त्र के मुख्य अध्ययन क्षेत्र:
- एक उपभोक्ता का व्यवहार: एक व्यक्ति यह कैसे तय करता है कि उसे क्या खरीदना है और कितना खरीदना है।
- एक फर्म का उत्पादन: एक कंपनी यह कैसे तय करती है कि उसे कितना उत्पादन करना है और उसकी कीमत क्या रखनी है।
- वस्तु की कीमत का निर्धारण: बाजार में किसी एक वस्तु (जैसे – चीनी, कपड़े, मोबाइल) की कीमत कैसे तय होती है (मांग और पूर्ति के आधार पर)।
- साधन का मूल्य निर्धारण: उत्पादन के साधनों (जैसे – मज़दूर की मज़दूरी, ज़मीन का किराया) का मूल्य कैसे निर्धारित होता है।
उदाहरण:
- अगर हम यह अध्ययन करें कि पेट्रोल की कीमत बढ़ने पर एक व्यक्ति अपनी कार का उपयोग कैसे कम कर देता है, तो यह व्यष्टि अर्थशास्त्र है।
- यदि हम यह देखें कि अमेज़न अपनी सेवाओं की कीमत कैसे तय करता है, तो यह व्यष्टि अर्थशास्त्र का विषय है।
इसे “कीमत सिद्धांत” (Price Theory) भी कहा जाता है क्योंकि इसका मुख्य फोकस व्यक्तिगत वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के निर्धारण पर होता है।
समष्टि अर्थशास्त्र क्या है? (What is Macroeconomics?)
“समष्टि” शब्द का अर्थ है ‘बड़ा’ या ‘व्यापक’। यह ग्रीक शब्द ‘Makros’ से लिया गया है, जिसका मतलब ‘बड़ा’ होता है।
समष्टि अर्थशास्त्र पूरी अर्थव्यवस्था का समग्र रूप से अध्ययन करता है। यह किसी एक व्यक्ति या फर्म पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, पूरे देश या वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित बड़े मुद्दों का विश्लेषण करता है।
यह पूरे जंगल का अध्ययन करने जैसा है, न कि किसी एक पेड़ का।
समष्टि अर्थशास्त्र के मुख्य अध्ययन क्षेत्र:
- राष्ट्रीय आय (National Income): देश की कुल आय (GDP, GNP) की गणना और विश्लेषण।
- सामान्य मूल्य स्तर (General Price Level): देश में समग्र महंगाई (Inflation) या मंदी (Deflation) का अध्ययन।
- रोजगार और बेरोजगारी (Employment and Unemployment): देश में बेरोजगारी की दर, उसके कारण और उसे दूर करने के उपाय।
- आर्थिक विकास (Economic Growth): देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर को बढ़ाने के तरीकों का अध्ययन।
- सरकारी नीतियाँ: सरकार की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) और राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) का पूरी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
उदाहरण:
- अगर हम यह अध्ययन करें कि भारत सरकार की नई टैक्स नीति का देश की कुल राष्ट्रीय आय पर क्या प्रभाव पड़ेगा, तो यह समष्टि अर्थशास्त्र है।
- यदि हम भारत में बेरोजगारी दर के कारणों और परिणामों का विश्लेषण करते हैं, तो यह समष्टि अर्थशास्त्र का विषय है।
इसे “आय और रोजगार का सिद्धांत” (Theory of Income and Employment) भी कहा जाता है, क्योंकि इसका मुख्य फोकस राष्ट्रीय आय और रोजगार के स्तर को निर्धारित करने वाले कारकों पर होता है।
व्यष्टि और समष्टि अर्थशास्त्र में मुख्य अंतर
| आधार (Basis of Difference) | व्यष्टि अर्थशास्त्र (Microeconomics) | समष्टि अर्थशास्त्र (Macroeconomics) |
|---|---|---|
| अर्थ (Meaning) | यह अर्थव्यवस्था की व्यक्तिगत इकाइयों, जैसे व्यक्ति और फर्म, का अध्ययन करता है। | यह पूरी अर्थव्यवस्था का समग्र रूप से अध्ययन करता है। |
| अध्ययन की इकाई (Unit of Study) | व्यक्तिगत आय, व्यक्तिगत उत्पादन, व्यक्तिगत कीमत। | राष्ट्रीय आय, कुल उत्पादन, सामान्य मूल्य स्तर। |
| मुख्य उपकरण (Main Tools) | व्यक्तिगत मांग और व्यक्तिगत पूर्ति। | समग्र मांग (Aggregate Demand) और समग्र पूर्ति (Aggregate Supply)। |
| उद्देश्य (Objective) | संसाधनों के आवंटन और वस्तु की कीमत निर्धारण का विश्लेषण करना। | पूर्ण रोजगार, आर्थिक विकास और मूल्य स्थिरता प्राप्त करने का विश्लेषण करना। |
| अन्य नाम (Other Name) | कीमत सिद्धांत (Price Theory) | आय और रोजगार का सिद्धांत (Theory of Income and Employment) |
| दृष्टिकोण (Approach) | बॉटम-अप दृष्टिकोण (Bottom-up Approach) – छोटी इकाइयों से बड़ी तस्वीर की ओर। | टॉप-डाउन दृष्टिकोण (Top-down Approach) – बड़ी तस्वीर से छोटी इकाइयों पर प्रभाव देखना। |
| उदाहरण (Examples) | एक व्यक्ति की बचत, एक कंपनी का लाभ, चीनी की कीमत। | देश की कुल बचत, राष्ट्रीय आय (GDP), मुद्रास्फीति (Inflation)। |
| सरकारी हस्तक्षेप | इसमें सरकारी हस्तक्षेप बहुत कम या न के बराबर माना जाता है (मुक्त बाज़ार)। | इसमें आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप महत्वपूर्ण माना जाता है। |
ये दोनों एक दूसरे पर कैसे निर्भर हैं? (Interdependence)
हालांकि व्यष्टि और समष्टि अर्थशास्त्र दो अलग-अलग शाखाएं हैं, लेकिन वे एक-दूसरे से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हैं। वे परस्पर निर्भर हैं।
- व्यष्टि की समष्टि पर निर्भरता: एक व्यक्ति जो बचत करता है (व्यष्टि), वह देश की कुल बचत (समष्टि) में योगदान देता है। लेकिन अगर सभी लोग एक साथ ज्यादा बचत करने लगें (व्यष्टि निर्णय), तो बाजार में मांग कम हो जाएगी, जिससे उत्पादन घटेगा और मंदी आ सकती है (समष्टि प्रभाव)। इसे ‘बचत का विरोधाभास’ (Paradox of Thrift) कहते हैं।
- समष्टि की व्यष्टि पर निर्भरता: सरकार जब टैक्स दरें बढ़ाती है (समष्टि नीति), तो इसका सीधा असर एक व्यक्ति की खर्च करने की क्षमता और एक फर्म के मुनाफे (व्यष्टि इकाइयां) पर पड़ता है। इसी तरह, देश में महंगाई (समष्टि मुद्दा) एक परिवार के मासिक बजट (व्यष्टि स्तर) को प्रभावित करती है।
इसलिए, अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर को समझने के लिए इन दोनों का अध्ययन करना आवश्यक है।