शोध प्रारूप / अभिकल्प का अर्थ
एक विराट समस्या जिसका सामना एक शोधकर्ता को शोध समस्या को परिभाषित करने के कार्य के पश्चात करना पड़ता है, वह शोध परियोजना के लिए एक प्रारूप की तैयारी है जिसे “शोध प्रारूप” कहते है। यह एक तरह से समंक के संग्रह और विश्लेषण के लिए शर्तों की व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य शोध उद्देश्य के लिए प्रासंगिकता को अर्थव्यवस्था की प्रक्रिया के साथ संयोजित करना है। शोध प्रारूप वैचारिक संरचना है जिसके अंतर्गत शोध आयोजित किया जाता है। यह आँकड़ो के संग्रह, माप और विश्लेषण के लिए ब्लूप्रिंट का गठन करता है।
दूसरे शब्दों में शोध प्रारूप निम्नलिखित विभिन्न प्रश्नों का एक समाकलित उत्तर होता है, जैसे –
- अध्ययन किस विषय में है?
- अध्ययन क्यों किया जा रहा है?
- अध्ययन कहाँ किया जाएगा?
- किस प्रकार के आँकड़ो की आवश्यकता है?
- आवश्यक आँकड़े कहाँ मिल सकते है?
- अध्ययन में किस अवधि का समय शामिल होगा ?
- प्रतिदश प्रारूप क्या होगा?
- संमक संग्रह के लिए कौन सी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा?
- संमक का विश्लेषण कैसे किया जाएगा?
- रिपोर्ट किस शैली में तैयार की जाएगी?
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए शोध प्रारूप को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है –
- प्रतिदश प्रारूप (sample design) जो दिए गए अध्ययन के लिए इकाइयों का प्रतिदर्श चुनने की विधि से सम्बंधित है ;
- अवलोकन प्रारूप (observational design) जो उन स्थितियों से सम्बंधित है जिनके तहत अवलोकन किए जाने है ;
- सांखकिय प्रारूप (statistical design) जो इकाइयों, जिनका अवलोकन किया जाना है, कि संख्या एवं एकत्रित जानकारी और समंक (data) के विश्लेषण से सम्बंधित है ;
- परिचालन प्रारूप (operational design) जो उन तकनीकों से सम्बंधित है जिनके द्वारा नमूनाकारन (sampling), सांख़िकिय और अवलोकन सम्बन्धी प्रारूप में निर्दिष्ट प्रक्रियाएँ कार्यान्वित की जाएगी।
संक्षेप में, शोध प्रारूप में कम से कम निम्नलिखित चीजें होनी चाहिए –
- शोध समस्या (research problem) का एक स्पष्ट विवरण;
- सूचना एकत्र करने के लिए प्रयोग की जाने वाली प्रक्रियाएँ और तकनीकें;
- जनसंख्या जिसका अध्ययन किया जाना है ;
- समंक प्रसंस्करण और विश्लेषण में उपयोग किए जाने वाली प्रणाली।
एक अच्छे शोध प्रारूप की क्या विशेषताएँ हैं ?
- शोध प्रारूप को उपयुक्त होना चाहिए तभी प्रयोग के विश्वसनीय परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। शोध प्रारूप जटिल या सरल ना होकर उपयुक्त चाहिए। उपयुक्त प्रारूप के चयन द्वारा शोधकर्ता अध्ययन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वस्तुनिष्ठ विधि से प्रयोगात्मक अवस्थाएँ व्यवस्थित करता है।
- एक अच्छा प्रारूप लचीला, उचित, कुशल और मितव्यय होता है।
- एक अच्छा प्रारूप पूर्वाग्रह को कम करता है और एकत्रित और विश्लेषण किए गए आँकड़ों की विश्वसनीय को अधिकतम करता है।
- वह प्रारूप, जो अधिकतम जानकारी प्रदान करता है और किसी शोध समस्या के अलग-अलग पहलुओं पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है, सबसे उपयुक्त और कुशल प्रारूप माना जाता है।
- अच्छा शोध प्रारूप शोधकर्ता को एक निश्चित दिशा का बोध कराता है।
- एक अच्छा शोध प्रारूप शोधकर्ता को समय प्रबंधन में मदद करता है।
- अच्छा शोध प्रारूप शोध समस्या के उद्देश्य और समस्या की प्रकृति को समझ कर बनाया जाता है। कोई एक प्रारूप सभी प्रकार की शोध समस्याओं के उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता है।